गुनाह-ए-जुरअत-ए-तदबीर कर रहा हूँ मैं
ये किस क़िमाश की तक़्सीर कर रहा हूँ मैं
मैं जानता हूँ अलामत है ज़ोफ़ हिम्मत की
जिसे नसीब से ता'बीर कर रहा हूँ मैं
अभी तदब्बुर-ओ-तदबीर का नहीं मौक़ा'
अभी हिमायत-ए-तक़दीर कर रहा हूँ मैं
हुजूम-ए-हश्र में खोलूँगा अद्ल का दफ़्तर
अभी तो फ़ैसले तहरीर कर रहा हूँ मैं
जवाब देने की आदत नहीं ख़ुदा को अगर
तो क्या परस्तिश-ए-तस्वीर कर रहा हूँ मैं
तबाह हो के हक़ाएक़ के खुरदुरे-पन से
तसव्वुरात की ता'मीर कर रहा हूँ मैं
ख़ुदा के आगे 'अदम' ज़िक्र-ए-अज़्मत-ए-इंसाँ
ग़लत मक़ाम पे तक़रीर कर रहा हूँ मैं
ग़ज़ल
गुनाह-ए-जुरअत-ए-तदबीर कर रहा हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम