ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था
ग़म-ए-हस्ती को आराम आ रहा था
ख़ुदा का शुक्र तेरी ज़ुल्फ़ बिखरी
बड़ी गर्मी का हंगाम आ रहा था
सितारे सो गए अंगड़ाई ले कर
कि अफ़्साने का अंजाम आ रहा था
तड़प कर मैं ने तौबा तोड़ डाली
तिरी रहमत पे इल्ज़ाम आ रहा था
'अदम' दिल खो के आसूदा नहीं हम
बुरा था या भला काम आ रहा था
ग़ज़ल
ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था
अब्दुल हमीद अदम