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ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था | शाही शायरी
zaban par aap ka nam aa raha tha

ग़ज़ल

ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था

अब्दुल हमीद अदम

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ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था
ग़म-ए-हस्ती को आराम आ रहा था

ख़ुदा का शुक्र तेरी ज़ुल्फ़ बिखरी
बड़ी गर्मी का हंगाम आ रहा था

सितारे सो गए अंगड़ाई ले कर
कि अफ़्साने का अंजाम आ रहा था

तड़प कर मैं ने तौबा तोड़ डाली
तिरी रहमत पे इल्ज़ाम आ रहा था

'अदम' दिल खो के आसूदा नहीं हम
बुरा था या भला काम आ रहा था