सच तो ये है कि नदामत ही हुई
राज़ की बात किसी से कह के
अब्दुल मजीद हैरत
ये शबाब-ए-हुस्न ये हुस्न-ए-शबाब
हश्र तक उन पर यही आलम रहे
अब्दुल मजीद हैरत
अब नहीं जन्नत मशाम-ए-कूचा-ए-यार की शमीम
निकहत-ए-ज़ुल्फ़ क्या हुई बाद-ए-सबा को क्या हुआ
अब्दुल मजीद सालिक
चराग़-ए-ज़िंदगी होगा फ़रोज़ाँ हम नहीं होंगे
चमन में आएगी फ़स्ल-ए-बहाराँ हम नहीं होंगे
अब्दुल मजीद सालिक
हाल-ए-दिल सुन के वो आज़ुर्दा हैं शायद उन को
इस हिकायत पे शिकायत का गुमाँ गुज़रा है
अब्दुल मजीद सालिक
हाल-ए-दिल सुन के वो आज़ुर्दा हैं शायद उन को
इस हिकायत पे शिकायत का गुमाँ गुज़रा है
अब्दुल मजीद सालिक
हमारे डूबने के बाद उभरेंगे नए तारे
जबीन-ए-दहर पर छटकेगी अफ़्शाँ हम नहीं होंगे
अब्दुल मजीद सालिक