तू हम से है बद-गुमाँ सद अफ़्सोस
तेरे ही तो जाँ-निसार हैं हम
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
उस दिल-नशीं अदा का मतलब कभी न समझे
जब हम ने कुछ कहा है वो मुस्कुरा दिए हैं
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
उठा लेने से तो दिल के रहा मैं
तू अब ज़ालिम वफ़ा कर या जफ़ा कर
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
उठा लेने से तो दिल के रहा मैं
तू अब ज़ालिम वफ़ा कर या जफ़ा कर
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
'वहशत' सुख़न ओ लुत्फ़-ए-सुख़न और ही शय है
दीवान में यारों के तो अशआर बहुत हैं
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
'वहशत' उस बुत ने तग़ाफ़ुल जब किया अपना शिआर
काम ख़ामोशी से मैं ने भी लिया फ़रियाद का
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
'वहशत' उस बुत ने तग़ाफ़ुल जब किया अपना शिआर
काम ख़ामोशी से मैं ने भी लिया फ़रियाद का
वहशत रज़ा अली कलकत्वी