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पैमान-ए-वफ़ा-ए-यार हैं हम | शाही शायरी
paiman-e-wafa-e-yar hain hum

ग़ज़ल

पैमान-ए-वफ़ा-ए-यार हैं हम

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

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पैमान-ए-वफ़ा-ए-यार हैं हम
यानी ना-पाएदार हैं हम

ख़ाक-ए-सर-ए-रहगुज़ार हैं हम
पामाल-ए-जफ़ा-ए-यार हैं हम

नौमीदी ओ यास चार सू है
उफ़ किस के उम्मीद-वार हैं हम

किस दुश्मन-ए-जाँ की आरज़ू है
जो मौत के ख़्वास्त-गार हैं हम

तू हम से है बद-गुमाँ सद अफ़्सोस
तेरे ही तो जाँ-निसार हैं हम

'वहशत' ख़ामोश जल रहे हैं
गोया शम-ए-मज़ार हैं हम