प्यास ऐसी थी कि मैं सारा समुंदर पी गया
पर मिरे होंटों के ये दोनों किनारे जल गए
त्रिपुरारि
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क़त्ल करना है नए ख़्वाब का सो डरता हूँ
काँप जाएँ न मिरे हाथ ये ख़ूँ करते हुए
त्रिपुरारि
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रूह है तर्जुमा पानियों का अगर
जिस्म या'नी समुंदर में इक नाव है
त्रिपुरारि
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रूह है तर्जुमा पानियों का अगर
जिस्म या'नी समुंदर में इक नाव है
त्रिपुरारि
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शेर पढ़ते हुए ये तुम ने कभी सोचा है
शेर कहते हुए मैं कितनी दफ़ा मरता हूँ
त्रिपुरारि
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तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में
आसमाँ के बदन पर कोई घाव है
त्रिपुरारि
तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में
आसमाँ के बदन पर कोई घाव है
त्रिपुरारि