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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मैं अपने दरमियाँ से हट चुका हूँ
तो फिर क्या दरमियाँ रक्खा हुआ है

त्रिपुरारि




मैं हासिल हो चुका हूँ जिस बदन को
उसी से पूछता हूँ क्या मिला है

त्रिपुरारि




मैं हासिल हो चुका हूँ जिस बदन को
उसी से पूछता हूँ क्या मिला है

त्रिपुरारि




मैं तिरे जिस्म के जब पार निकल जाऊँगा
वस्ल की रात बड़ी ग़ौर-तलब होगी वो

त्रिपुरारि




मोहब्बत में शिकायत कर रहा हूँ
शिकायत में मोहब्बत कर रहा हूँ

त्रिपुरारि




नींद आए तो कुछ सुराग़ मिले
कौन है दफ़्न मेरे ख़्वाबों में

त्रिपुरारि




नींद आए तो कुछ सुराग़ मिले
कौन है दफ़्न मेरे ख़्वाबों में

त्रिपुरारि