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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

देखने वाली अगर आँख को पहचान सकें
रंग ख़ुद पर्दा-ए-तस्वीर से बाहर हो जाएँ

तौसीफ़ तबस्सुम




दिल बयाज़-ए-उम्र की औराक़-गर्दानी में है
क्या ख़बर है कौन सा सफ़्हा खुला रह जाएगा

तौसीफ़ तबस्सुम




दिल बयाज़-ए-उम्र की औराक़-गर्दानी में है
क्या ख़बर है कौन सा सफ़्हा खुला रह जाएगा

तौसीफ़ तबस्सुम




दिल की बाज़ी हार के रोए हो तो ये भी सुन रक्खो
और अभी तुम प्यार करोगे और अभी पछताओगे

तौसीफ़ तबस्सुम




दुख झेलो तो जी कड़ा ही रखना
दिल है तो हिसाब-ए-दोस्ताँ है

तौसीफ़ तबस्सुम




जो भी नरमी है ख़यालों में न होने से है
ख़्वाब आँखों से निकल जाएँ तो पत्थर हो जाएँ

तौसीफ़ तबस्सुम




जो भी नरमी है ख़यालों में न होने से है
ख़्वाब आँखों से निकल जाएँ तो पत्थर हो जाएँ

तौसीफ़ तबस्सुम