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सुनो कवी तौसीफ़ तबस्सुम इस दुख से क्या पाओगे | शाही शायरी
suno kawi tausif tabassum is dukh se kya paoge

ग़ज़ल

सुनो कवी तौसीफ़ तबस्सुम इस दुख से क्या पाओगे

तौसीफ़ तबस्सुम

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सुनो कवी तौसीफ़ तबस्सुम इस दुख से क्या पाओगे
सपने लिखते लिखते आख़िर ख़ुद सपना हो जाओगे

जलती आँखों ज्वाला फूटे ख़ुश्बू घुल कर रंग बने
दुख के लाखों चेहरे हैं किस किस से आँख मिलाओगे

हर खिड़की में फूल खिले हैं पीले पीले चेहरों के
कैसी सरसों फूली है क्या ऐसे में घर जाओगे

इतने रंगों में क्यूँ तुम को एक रंग मन भाया है
भेद ये अपने जी का कैसे औरों को समझाओगे

अब तो सहर होने को आई अब तो घर को लौट चलो
चाँद के पीछे पीछे जितना भागोगे गहनाओगे

दिल की बाज़ी हार के रोए हो तो ये भी सुन रक्खो
और अभी तुम प्यार करोगे और अभी पछताओगे