लम्हा-ए-इमकान को पहलू बदलते देखना
आतिश-ए-बे-रंग में ख़ुद को पिघलते देखना
तनवीर अंजुम
मुझे अज़ीज़ है बे-एहतियाती-ए-सादा
न शौक़ है न हुनर उस को आज़माने का
तनवीर अंजुम
मुझे अज़ीज़ है बे-एहतियाती-ए-सादा
न शौक़ है न हुनर उस को आज़माने का
तनवीर अंजुम
शहरों के सारे जंगल गुंजान हो गए हैं
फिर लोग मेरे अंदर सुनसान हो गए हैं
तनवीर अंजुम
टूटी है ये कश्ती तो मिरे साथ सफ़र को
वो जान-ए-मसाफ़त मिरा तय्यार हुआ है
तनवीर अंजुम
टूटी है ये कश्ती तो मिरे साथ सफ़र को
वो जान-ए-मसाफ़त मिरा तय्यार हुआ है
तनवीर अंजुम
कई लोग मोरचा-बंद ख़ौफ़ की रेत में हैं करम करम
तिरे हाथ में ये जो संग है किसी सम्त उस को उछाल भी
तनवीर मोनिस