ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
तनवीर सिप्रा
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
तनवीर सिप्रा
औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना
उस शख़्स को दामाद भी वैसा ही मिला है
तनवीर सिप्रा
दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया
क़स्बे का जिस्म शहर की बुनियाद खा गई
तनवीर सिप्रा
दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया
क़स्बे का जिस्म शहर की बुनियाद खा गई
तनवीर सिप्रा
हम हिज़्ब-ए-इख़्तिलाफ़ में भी मोहतरम हुए
वो इक़्तिदार में हैं मगर बे-विक़ार हैं
तनवीर सिप्रा
जो कर रहा है दूसरों के ज़ेहन का इलाज
वो शख़्स ख़ुद बहुत बड़ा ज़ेहनी मरीज़ है
तनवीर सिप्रा