EN اردو
ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं | शाही शायरी
ye bhi hua ki filon ke darmiyan milin

ग़ज़ल

ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं

सुबोध लाल साक़ी

;

ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं
मुझ को कहाँ कहाँ मिरी तन्हाइयाँ मिलीं

फ़रियाद मेरी दफ़्तरों में गूँजती रही
रद्दी के ढेर में मिरी सब अर्ज़ियाँ मिलीं

हम आइनों के शहर में निकले थे सैर को
हर गाम चंद अजनबी परछाइयाँ मिलीं

फीके तबस्सुमों से सजे कुछ महल मिले
और क़हक़हों में डूबी हुई झुग्गियाँ मिलीं

छोटा सा शहर ही सही लेकिन यहाँ मुझे
सहरा मिले सराब मिले दूरियाँ मिलीं

जाने से पहले मिलने की ख़्वाहिश रही उसे
जाने के बअ'द उस की मुझे छुट्टियाँ मिलीं