मैं कहकशाओं में ख़ुशियाँ तलाशने निकला
मिरे सितारे मेरा चाँद सब उदास रहे
सिराज फ़ैसल ख़ान
मैं मुंतज़िर हूँ किसी ऐसे वस्ल का जिस में
मिरे बदन पे तिरे जिस्म का लिबास रहे
सिराज फ़ैसल ख़ान
मैं संग-ए-मील था तो ये करना पड़ा मुझे
ता-उम्र रास्ते में ठहरना पड़ा मुझे
सिराज फ़ैसल ख़ान
मैं संग-ए-मील था तो ये करना पड़ा मुझे
ता-उम्र रास्ते में ठहरना पड़ा मुझे
सिराज फ़ैसल ख़ान
मैं तेरे ज़िक्र की वादी में सैर करता रहूँ
हमेशा लब पे तिरे नाम की मिठास रहे
सिराज फ़ैसल ख़ान
शायद अगली इक कोशिश तक़दीर बदल दे
ज़हर तो जब जी चाहे खाया जा सकता है
सिराज फ़ैसल ख़ान
शायद अगली इक कोशिश तक़दीर बदल दे
ज़हर तो जब जी चाहे खाया जा सकता है
सिराज फ़ैसल ख़ान