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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

सिराज फ़ैसल ख़ान




किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

सिराज फ़ैसल ख़ान




लिक्खा है तारीख़ के सफ़हे सफ़हे पर ये
शाहों को भी दास बनाया जा सकता है

सिराज फ़ैसल ख़ान




मालिक मुझे जहाँ में उतारा है किस लिए
आदम की भूल मेरा ख़सारा है किस लिए

सिराज फ़ैसल ख़ान




मालिक मुझे जहाँ में उतारा है किस लिए
आदम की भूल मेरा ख़सारा है किस लिए

सिराज फ़ैसल ख़ान




मैं अच्छा हूँ तभी अपना रही हो
कोई मुझ से भी अच्छा मिल गया तो

सिराज फ़ैसल ख़ान




मैं कहकशाओं में ख़ुशियाँ तलाशने निकला
मिरे सितारे मेरा चाँद सब उदास रहे

सिराज फ़ैसल ख़ान