दिल की दीवार पर सिवा उस के
रंग दूजा कोई चढ़ा ही नहीं
सिराज फ़ैसल ख़ान
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हाथ छूटा तो तीरगी में था
साथ छूटा तो बुझ गईं आँखें
सिराज फ़ैसल ख़ान
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हमें रंजिश नहीं दरिया से कोई
सलामत गर रहे सहरा हमारा
सिराज फ़ैसल ख़ान
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हमें रंजिश नहीं दरिया से कोई
सलामत गर रहे सहरा हमारा
सिराज फ़ैसल ख़ान
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जब से हासिल हुआ है वो मुझ को
ख़्वाब आने लगे बिछड़ने के
सिराज फ़ैसल ख़ान
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जैसे देखा हो आख़िरी सपना
रात इतनी उदास थीं आँखें
सिराज फ़ैसल ख़ान
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जैसे देखा हो आख़िरी सपना
रात इतनी उदास थीं आँखें
सिराज फ़ैसल ख़ान
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