ज़मीं मेरे सज्दे से थर्रा गई
मुझे आसमाँ से पुकारा गया
सिराज फ़ैसल ख़ान
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आँखों पर अपनी रख कर साहिल की आस्तीं को
हम दिल के डूबने पर आँसू बहा रहे हैं
सिराज लखनवी
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आँसू हैं कफ़न-पोश सितारे हैं कफ़न-रंग
लो चाक किए देते हैं दामान-ए-सहर हम
सिराज लखनवी
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आग और धुआँ और हवस और है इश्क़ और
हर हौसला-ए-दिल को मोहब्बत नहीं कहते
सिराज लखनवी
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आग और धुआँ और हवस और है इश्क़ और
हर हौसला-ए-दिल को मोहब्बत नहीं कहते
सिराज लखनवी
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आप के पाँव के नीचे दिल है
इक ज़रा आप को ज़हमत होगी
सिराज लखनवी
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अभी रक्खा रहने दो ताक़ पर यूँही आफ़्ताब का आइना
कि अभी तो मेरी निगाह में वही मेरा माह-ए-तमाम है
सिराज लखनवी
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