उस के दिल की आग ठंडी पड़ गई
मुझ को शोहरत मिल गई इल्ज़ाम से
सिराज फ़ैसल ख़ान
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उस की यादों की काई पर अब तो
ज़िंदगी-भर मुझे फिसलना है
सिराज फ़ैसल ख़ान
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वस्ल में सूख गई है मिरी सोचों की ज़मीं
हिज्र आए तो मिरी सोच को शादाब करे
सिराज फ़ैसल ख़ान
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वस्ल में सूख गई है मिरी सोचों की ज़मीं
हिज्र आए तो मिरी सोच को शादाब करे
सिराज फ़ैसल ख़ान
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वो एक शख़्स जो दिखने में ठीक-ठाक सा था
बिछड़ रहा था तो लगने लगा हसीन बहुत
सिराज फ़ैसल ख़ान
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वो कभी आग़ाज़ कर सकते नहीं
ख़ौफ़ लगता है जिन्हें अंजाम से
सिराज फ़ैसल ख़ान
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वो कभी आग़ाज़ कर सकते नहीं
ख़ौफ़ लगता है जिन्हें अंजाम से
सिराज फ़ैसल ख़ान
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