कई दिन बा'द उस ने गुफ़्तुगू की
कई दिन बा'द फिर अच्छा हुआ मैं
सिराज फ़ैसल ख़ान
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ख़ौफ़ आता है अपने साए से
हिज्र के किस मक़ाम पर हूँ मैं
सिराज फ़ैसल ख़ान
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ख़ौफ़ आता है अपने साए से
हिज्र के किस मक़ाम पर हूँ मैं
सिराज फ़ैसल ख़ान
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ख़याल कब से छुपा के ये मन में रक्खा है
मिरा क़रार तुम्हारे बदन में रक्खा है
सिराज फ़ैसल ख़ान
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खुली आँखों से भी सोया हूँ अक्सर
तुम्हारा रास्ता तकता हुआ मैं
सिराज फ़ैसल ख़ान
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खुली आँखों से भी सोया हूँ अक्सर
तुम्हारा रास्ता तकता हुआ मैं
सिराज फ़ैसल ख़ान
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खुली जो आँख तो महशर का शोर बरपा था
मैं ख़ुश हुआ कि चलो आज मर गई दुनिया
सिराज फ़ैसल ख़ान
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