देखा है जिस ने यार के रुख़्सार की तरफ़
हरगिज़ न जावे सैर कूँ गुलज़ार की तरफ़
सिराज औरंगाबादी
देखा है जिस ने यार के रुख़्सार की तरफ़
हरगिज़ न जावे सैर कूँ गुलज़ार की तरफ़
सिराज औरंगाबादी
दिल ले गया है मुझ कूँ दे उम्मीद-ए-दिल-दही
ज़ालिम कभी तो लाएगा मेरा लिया हुआ
सिराज औरंगाबादी
दिल में आ राह-ए-चश्म-ए-हैराँ सीं
खुल रहे हैं मिरी पलक के पाट
सिराज औरंगाबादी
दिल में आ राह-ए-चश्म-ए-हैराँ सीं
खुल रहे हैं मिरी पलक के पाट
सिराज औरंगाबादी
दिल मिरा ज़ुल्फ़ सेती छूट फँसा अबरू में
कुफ़्र कूँ तर्क किया माइल-ए-मेहराब हुआ
सिराज औरंगाबादी
दो-रंगी ख़ूब नहीं यक-रंग हो जा
सरापा मोम हो या संग हो जा
सिराज औरंगाबादी