इश्क़ दोनों तरफ़ सूँ होता है
क्यूँ बजे एक हात सूँ ताली
सिराज औरंगाबादी
इश्क़ का नाम गरचे है मशहूर
मैं तअ'ज्जुब में हूँ कि क्या शय है
सिराज औरंगाबादी
इश्क़ का नाम गरचे है मशहूर
मैं तअ'ज्जुब में हूँ कि क्या शय है
सिराज औरंगाबादी
जाँ-सिपारी दाग़ कत्था चूना है चश्म-ए-इन्तिज़ार
वास्ते मेहमान ग़म के दिल है बीड़ा पान का
सिराज औरंगाबादी
जाँ-सिपारी दाग़ कत्था चूना है चश्म-ए-इन्तिज़ार
वास्ते मेहमान ग़म के दिल है बीड़ा पान का
सिराज औरंगाबादी
जाता है मिरा जान निपट प्यास लगी है
मंगता हूँ ज़रा शर्बत-ए-दीदार किसी का
सिराज औरंगाबादी
जब सीं लाया इश्क़ ने फ़ौज-ए-जुनूँ
अक़्ल के लश्कर में भागा भाग है
सिराज औरंगाबादी