EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है
मिलन के ब'अद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं

शुजा ख़ावर




क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है
मिलन के ब'अद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं

शुजा ख़ावर




रिंद खड़े हैं मिम्बर मिम्बर
और वाइज़ ने पी रक्खी है

शुजा ख़ावर




सातों आलम सर करने के बा'द इक दिन की छुट्टी ले कर
घर में चिड़ियों के गाने पर बच्चों की हैरानी देखो

शुजा ख़ावर




सातों आलम सर करने के बा'द इक दिन की छुट्टी ले कर
घर में चिड़ियों के गाने पर बच्चों की हैरानी देखो

शुजा ख़ावर




सब का ही नाम लेते हैं इक तुझ को छोड़ कर
ख़ासा शुऊर है हमें वहशत के बावजूद

शुजा ख़ावर




सभी ज़िंदगी पे फ़रेफ़्ता कोई मौत पर नहीं शेफ़्ता
सभी सूद-ख़ोर तो हो गए हैं कोई पठान नहीं रहा

शुजा ख़ावर