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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों
या जिन्हें ख़ामोश रहने की सज़ा मालूम है

शुजा ख़ावर




या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों
या जिन्हें ख़ामोश रहने की सज़ा मालूम है

शुजा ख़ावर




ये दुनिया-दारी और इरफ़ान का दावा 'शुजा-ख़ावर'
मियाँ इरफ़ान हो जाए तो दुनिया छोड़ देते हैं

शुजा ख़ावर




ज़िंदगी भर ज़िंदा रहने की यही तरकीब है
उस तरफ़ जाना नहीं बिल्कुल जिधर की सोचना

शुजा ख़ावर




ज़िंदगी भर ज़िंदा रहने की यही तरकीब है
उस तरफ़ जाना नहीं बिल्कुल जिधर की सोचना

शुजा ख़ावर




क़तील हो के भी मैं अपने क़ातिलों से लड़ा
कि मेरे ब'अद मिरे दोस्तों की बारी थी

शुजाअत अली राही




उर्यां न वो नहाया हम्माम हो कि दरिया
चश्म-ए-हुबाब ने भी उस का बदन न देखा

शऊर बलगिरामी