कितनी दिल-कश हैं तिरी तस्वीर की रानाइयाँ
लेकिन ऐ पर्दा-नशीं तस्वीर फिर तस्वीर है
शकील बदायुनी
कोई दिलकश नज़ारा हो कोई दिलचस्प मंज़र हो
तबीअत ख़ुद बहल जाती है बहलाई नहीं जाती
शकील बदायुनी
क्या असर था जज़्बा-ए-ख़ामोश में
ख़ुद वो खिच कर आ गए आग़ोश में
शकील बदायुनी
क्या असर था जज़्बा-ए-ख़ामोश में
ख़ुद वो खिच कर आ गए आग़ोश में
शकील बदायुनी
क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें
खुल गई आँख तो ताबीर पे रोना आया
शकील बदायुनी
लम्हात-ए-याद-ए-यार को सर्फ़-ए-दुआ न कर
आते हैं ज़िंदगी में ये आलम कभी कभी
शकील बदायुनी
लम्हात-ए-याद-ए-यार को सर्फ़-ए-दुआ न कर
आते हैं ज़िंदगी में ये आलम कभी कभी
शकील बदायुनी