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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मेरे आँसू के पोछने को मियाँ
तेरी हो आस्तीं ख़ुदा न करे

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मेरे हवास-ए-ख़मसा उसे देख उड़ गए
क्यूँ कर ठहर सकें ये कबूतर थे पर गिरे

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मेरी फ़रियाद कोई नईं सुनता
कोई इस शहर में भी बस्ता है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मेरी फ़रियाद कोई नईं सुनता
कोई इस शहर में भी बस्ता है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मिरा दिल बार-ए-इश्क़ ऐसा उठाने में दिलावर है
जो उस के कोह दूँ सर पर तो उस को काह जाने है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मिरी बातों से अब आज़ुर्दा न होना साक़ी
इस घड़ी अक़्ल मिरी मुझ से जुदा फिरती है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मिरी बातों से अब आज़ुर्दा न होना साक़ी
इस घड़ी अक़्ल मिरी मुझ से जुदा फिरती है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम