मालूम है किसू को कि वो आज शोला-ख़ू
हम को जला के आग लगाने किधर गए
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मैं जाँ-ब-लब हूँ ऐ तक़दीर तेरे हाथों से
कि तेरे आगे मिरी कुछ न चल सकी तदबीर
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मैं जितना ढूँढता हूँ उस को उतना ही नहीं पाता
किधर है किस तरफ़ है और कहाँ है दिल ख़ुदा जाने
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मैं जितना ढूँढता हूँ उस को उतना ही नहीं पाता
किधर है किस तरफ़ है और कहाँ है दिल ख़ुदा जाने
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मैं कुफ़्र ओ दीं से गुज़र कर हुआ हूँ ला-मज़हब
ख़ुदा-परस्त से मतलब न बुत-परस्त से काम
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मैं पीर हो गया हूँ और अब तक जवाँ है दर्द
मेरे मुरीद हो जो तुम्हें दोस्ताँ है दर्द
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मैं पीर हो गया हूँ और अब तक जवाँ है दर्द
मेरे मुरीद हो जो तुम्हें दोस्ताँ है दर्द
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम