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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मोतकिफ़ हो शैख़ अपने दिल में मस्जिद से निकल
साहिब-ए-दिल की बग़ल में दिल इबादत-ख़ाना है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मुद्दत हुई पलक से पलक आश्ना नहीं
क्या इस से अब ज़ियादा करे इंतिज़ार चश्म

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मुद्दत से आरज़ू है ख़ुदा वो घड़ी करे
हम तुम पिएँ जो मिल के कहीं एक जा शराब

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मुद्दत से आरज़ू है ख़ुदा वो घड़ी करे
हम तुम पिएँ जो मिल के कहीं एक जा शराब

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतिज़ार है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
उठो यारो भरो रंगों से झोली

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
उठो यारो भरो रंगों से झोली

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम