चला जाता था 'हातिम' आज कुछ वाही-तबाही सा
जो देखा हाथ में उस के तिरे शिकवे का दफ़्तर था
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
चमन ख़राब किया, हो ख़िज़ाँ का ख़ाना-ख़राब
न गुल रहा है न बुलबुल है बाग़बाँ तन्हा
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
छल-बल उस की निगाह का मत पूछ
सेहर है टोटका है टोना है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
छल-बल उस की निगाह का मत पूछ
सेहर है टोटका है टोना है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
छुपाता क्या है मुँह कब तक छुपेगा
तुझे सब शहर-ए-क़ातिल जानता है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
दहन है तंग शकर और शकर है तिरा है कलाम
लबाँ हैं पिस्ता ज़नख़ सेब ओ चश्म हैं बादाम
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
दहन है तंग शकर और शकर है तिरा है कलाम
लबाँ हैं पिस्ता ज़नख़ सेब ओ चश्म हैं बादाम
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम