हर तरफ़ अपने को बिखरा पाओगे
आइनों को तोड़ के पछताओगे
शहरयार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
इक बूँद ज़हर के लिए फैला रहे हो हाथ
देखो कभी ख़ुद अपने बदन को निचोड़ के
शहरयार
टैग:
| बदन |
| 2 लाइन शायरी |
इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं
कहने को तो दुनिया में मय-ख़ाने हज़ारों हैं
शहरयार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं
कहने को तो दुनिया में मय-ख़ाने हज़ारों हैं
शहरयार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
इन दिनों मैं भी हूँ कुछ कार-ए-जहाँ में मसरूफ़
बात तुझ में भी नहीं रह गई पहले वाली
शहरयार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
जागता हूँ मैं एक अकेला दुनिया सोती है
कितनी वहशत हिज्र की लम्बी रात में होती है
शहरयार
जागता हूँ मैं एक अकेला दुनिया सोती है
कितनी वहशत हिज्र की लम्बी रात में होती है
शहरयार