जो होने वाला है अब उस की फ़िक्र क्या कीजे
जो हो चुका है उसी पर यक़ीं नहीं आता
शहरयार
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जो होने वाला है अब उस की फ़िक्र क्या कीजे
जो हो चुका है उसी पर यक़ीं नहीं आता
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जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने
शहरयार
काग़ज़ की कश्तियाँ भी बहुत काम आएँगी
जिस दिन हमारे शहर में सैलाब आएगा
शहरयार
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काग़ज़ की कश्तियाँ भी बहुत काम आएँगी
जिस दिन हमारे शहर में सैलाब आएगा
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कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें
ये हसरत है कि इन आँखों से कुछ होता हुआ देखें
शहरयार
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कहिए तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँ
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए
शहरयार
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