हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती
शहरयार
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हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती
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हम ख़ुश हैं हमें धूप विरासत में मिली है
अज्दाद कहीं पेड़ भी कुछ बो गए होते
शहरयार
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हम ने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है
शहरयार
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हम ने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है
शहरयार
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हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें
शहरयार
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हर तरफ़ अपने को बिखरा पाओगे
आइनों को तोड़ के पछताओगे
शहरयार
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