EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती

शहरयार




हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती

शहरयार




हम ख़ुश हैं हमें धूप विरासत में मिली है
अज्दाद कहीं पेड़ भी कुछ बो गए होते

शहरयार




हम ने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है

शहरयार




हम ने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है

शहरयार




हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें

शहरयार




हर तरफ़ अपने को बिखरा पाओगे
आइनों को तोड़ के पछताओगे

शहरयार