तुझ को देखा नहीं महसूस किया है मैं ने
आ किसी दिन मिरे एहसास को पैकर कर दे
शाहिद मीर
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तुझ को देखा नहीं महसूस किया है मैं ने
आ किसी दिन मिरे एहसास को पैकर कर दे
शाहिद मीर
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वही सफ़्फ़ाक हवाओं का सदफ़ बनते हैं
जिन दरख़्तों का निकलता हवा क़द होता है
शाहिद मीर
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ज़ेहन में तू आँखों में तू दिल में तिरा वजूद
मेरा तो बस नाम है हर जा तू मौजूद
शाहिद मीर
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ज़ेहन में तू आँखों में तू दिल में तिरा वजूद
मेरा तो बस नाम है हर जा तू मौजूद
शाहिद मीर
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अब मुझे बोलना नहीं पड़ता
अब मैं हर शख़्स की पुकार में हूँ
शाहिद ज़की
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अभी तो पहले परों का भी क़र्ज़ है मुझ पर
झिजक रहा हूँ नए पर निकालता हुआ मैं
शाहिद ज़की
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