अभी तो पहले परों का भी क़र्ज़ है मुझ पर
झिजक रहा हूँ नए पर निकालता हुआ मैं
शाहिद ज़की
बिन माँगे मिल रहा हो तो ख़्वाहिश फ़ुज़ूल है
सूरज से रौशनी की गुज़ारिश फ़ुज़ूल है
शाहिद ज़की
मैं आप अपनी मौत की तय्यारियों में हूँ
मेरे ख़िलाफ़ आप की साज़िश फ़ुज़ूल है
शाहिद ज़की
मैं आप अपनी मौत की तय्यारियों में हूँ
मेरे ख़िलाफ़ आप की साज़िश फ़ुज़ूल है
शाहिद ज़की
मैं बदलते हुए हालात में ढल जाता हूँ
देखने वाले अदाकार समझते हैं मुझे
शाहिद ज़की
मैं तो ख़ुद बिकने को बाज़ार में आया हुआ हूँ
और दुकाँ-दार ख़रीदार समझते हैं मुझे
शाहिद ज़की
मैं तो ख़ुद बिकने को बाज़ार में आया हुआ हूँ
और दुकाँ-दार ख़रीदार समझते हैं मुझे
शाहिद ज़की