फलों के साथ कहीं घोंसले न गिर जाएँ
ख़याल रखता हूँ पत्थर उछालता हुआ मैं
शाहिद ज़की
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रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं
हम-वतन इस लिए ग़द्दार समझते हैं मुझे
शाहिद ज़की
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रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं
हम-वतन इस लिए ग़द्दार समझते हैं मुझे
शाहिद ज़की
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यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे
मैं समझता था मिरे यार समझते हैं मुझे
शाहिद ज़की
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मैं ने उन सब चिड़ियों के पर काट दिए
जिन को अपने अंदर उड़ते देखा था
शाहिदा हसन
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मैं ने उन सब चिड़ियों के पर काट दिए
जिन को अपने अंदर उड़ते देखा था
शाहिदा हसन
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आप की आँखों में आँसू देख कर
आज अपने ग़म का अंदाज़ा हुआ
शाहजहाँ बानो याद
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