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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

ग़म सभी दिल से रुख़्सत हुए
दर्द बे-इंतिहा रह गया

अजमल सिराज




कौन आता है इस ख़राबे में
इस ख़राबे में कौन आता है

अजमल सिराज




किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है
किसे बताएँ हमारा जो हाल हो गया है

अजमल सिराज




कुछ कहना चाहते थे कि ख़ामोश हो गए
दस्तार याद आ गई सर याद आ गया

अजमल सिराज




लोग जीते हैं किस तरह 'अजमल'
हम से होता नहीं गुज़ारा भी

अजमल सिराज




मैं ने ऐ दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है
और तू है कि मिरी जान को आया हुआ है

अजमल सिराज




मिरी मिसाल तो ऐसी है जैसे ख़्वाब कोई
मिरा वजूद समझ लीजिए अदम जैसे

अजमल सिराज