बुझ गया रात वो सितारा भी
हाल अच्छा नहीं हमारा भी
ये जो हम खोए खोए रहते हैं
इस में कुछ दख़्ल है तुम्हारा भी
डूबना ज़ात के समुंदर में
है ये तूफ़ान भी किनारा भी
अब मुझे नींद ही नहीं आती
ख़्वाब है ख़्वाब का सहारा भी
लोग जीते हैं किस तरह 'अजमल'
हम से होता नहीं गुज़ारा भी
ग़ज़ल
बुझ गया रात वो सितारा भी
अजमल सिराज