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दीवार याद आ गई दर याद आ गया | शाही शायरी
diwar yaad aa gai dar yaad aa gaya

ग़ज़ल

दीवार याद आ गई दर याद आ गया

अजमल सिराज

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दीवार याद आ गई दर याद आ गया
दो गाम ही चले थे कि घर याद आ गया

कुछ कहना चाहते थे कि ख़ामोश हो गए
दस्तार याद आ गई सर याद आ गया

दुनिया की बे-रुख़ी का गिला कर रहे थे लोग
हम को तिरा तपाक मगर याद आ गया

फिर तीरगी-ए-राहगुज़र याद आ गई
फिर वो चराग़-ए-राहगुज़र याद आ गया

'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
क्या जाने क्या करेंगे अगर याद आ गया