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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

लोग मेरी मौत के ख़्वाहाँ हैं 'अफ़ज़ल' किस लिए
चंद ग़ज़लों के सिवा कुछ भी नहीं सामान में

अफ़ज़ल मिनहास




रस्ते में कोई पेड़ जो मिल जाए तो बैठूँ
वो बार उठाया है कि दिखने लगे शाने

अफ़ज़ल मिनहास




सत्ह-ए-दरिया पर उभरने की तमन्ना ही नहीं
अर्श पर पहुँचे हुए हैं जब से गहराई मिली

अफ़ज़ल मिनहास




तुझ को सुकूँ नहीं है तो मिट्टी में डूब जा
आबाद इक जहान ज़मीं की तहों में है

अफ़ज़ल मिनहास




उजली उजली ख़्वाहिशों पर नींद की चादर न डाल
याद के रौज़न से कुछ ताज़ा हवा भी आएगी

अफ़ज़ल मिनहास




उजली उजली ख़्वाहिशों पर नींद की चादर न डाल
याद के रौज़न से कुछ ताज़ा हवा भी आएगी

अफ़ज़ल मिनहास




वो दौर अब कहाँ कि तुम्हारी हो जुस्तुजू
इस दौर में तो हम को ख़ुद अपनी तलाश है

अफ़ज़ल मिनहास