या मैं सोचूँ कुछ भी न उस के बारे में
या ऐसा हो दुनिया और बदल जाए
शहरयार
वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शख़्स मर गया यारो
शहरयार
वक़्त को क्यूँ भला बुरा कहिए
तुझ को होना ही था जुदा हम से
शहरयार
तुझ से बिछड़े हैं तो अब किस से मिलाती है हमें
ज़िंदगी देखिए क्या रंग दिखाती है हमें
शहरयार
तुझे भूल गया कभी याद नहीं करता तुझ को
जो बात बहुत पहले करनी थी अब की है
शहरयार
तुझ से मिल कर भी न तन्हाई मिटेगी मेरी
दिल में रह रह के यही बात खटकती क्यूँ है
शहरयार
तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को
कब से पलकों पर उठाए फिर रहा हूँ रात को
शहरयार
तिरा ख़याल भी तेरी तरह सितमगर है
जहाँ पे चाहिए आना वहीं नहीं आता
शहरयार
तेरे वादे को कभी झूट नहीं समझूँगा
आज की रात भी दरवाज़ा खुला रक्खूँगा
शहरयार