ज़बाँ मिली भी तो किस वक़्त बे-ज़बानों को
सुनाने के लिए जब कोई दास्ताँ न रही
शहरयार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से
ख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद करें फिर से
शहरयार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो थी नहीं कुछ कम है
हर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है
शहरयार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |