हमारी मुस्कुराहट पर न जाना
दिया तो क़ब्र पर भी जल रहा है
आनिस मुईन
और भी कितने तरीक़े हैं बयान-ए-ग़म के
मुस्कुराती हुई आँखों को तो पुर-नम न करो
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
जैसे पौ फट रही हो जंगल में
यूँ कोई मुस्कुराए जाता है
अहमद मुश्ताक़
वहाँ सलाम को आती है नंगे पाँव बहार
खिले थे फूल जहाँ तेरे मुस्कुराने से
अहमद मुश्ताक़
मिरे हबीब मिरी मुस्कुराहटों पे न जा
ख़ुदा-गवाह मुझे आज भी तिरा ग़म है
अहमद राही
वो मुस्कुरा के कोई बात कर रहा था 'शुमार'
और उस के लफ़्ज़ भी थे चाँदनी में बिखरे हुए
अख्तर शुमार
अब और इस के सिवा चाहते हो क्या 'मुल्ला'
ये कम है उस ने तुम्हें मुस्कुरा के देख लिया
आनंद नारायण मुल्ला