यरान-ए-बे-बिसात कि हर बाज़ी-ए-हयात
खेले बग़ैर हार गए मात हो गई
हफ़ीज़ जालंधरी
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मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी
वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
परवीन शाकिर
दिल सा वहशी कभी क़ाबू में न आया यारो
हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले
शहज़ाद अहमद
हम आज राह-ए-तमन्ना में जी को हार आए
न दर्द-ओ-ग़म का भरोसा रहा न दुनिया का
वहीद क़ुरैशी