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उनवान चिश्ती शायरी | शाही शायरी

उनवान चिश्ती शेर

9 शेर

आप से चूक हो गई शायद
आप और मुझ पे मेहरबाँ क्या ख़ूब

उनवान चिश्ती




हुस्न ही तो नहीं बेताब-ए-नुमाइश 'उनवाँ'
इश्क़ भी आज नई जल्वागरी माँगे है

उनवान चिश्ती




इस कार-ए-नुमायाँ के शाहिद हैं चमन वाले
गुलशन में बहारों को लाए थे हमीं पहले

उनवान चिश्ती




इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है
होश के दौर में भी जामा-दरी माँगे है

उनवान चिश्ती




कुछ तो बताओ ऐ फ़रज़ानो दीवानों पर क्या गुज़री
शहर-ए-तमन्ना की गलियों में बरपा है कोहराम बहुत

उनवान चिश्ती




मैं किस तरह तुझे इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई दूँ
रह-ए-वफ़ा में तिरे नक़्श-ए-पा भी मिलते हैं

उनवान चिश्ती




मिरी समझ में आ गया हर एक राज़-ए-ज़िंदगी
जो दिल पे चोट पड़ गई तो दूर तक नज़र गई

उनवान चिश्ती




परेशाँ हो के दिल तर्क-ए-तअल्लुक़ पर है आमादा
मोहब्बत में ये सूरत भी न रास आई तो क्या होगा

उनवान चिश्ती




वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए
जीने की आरज़ू में कई बार मर गए

उनवान चिश्ती