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मशकूर हुसैन याद शायरी | शाही शायरी

मशकूर हुसैन याद शेर

8 शेर

आँसू आँसू जिस ने दरिया पार किए
क़तरा क़तरा आब में उलझा बैठा है

मशकूर हुसैन याद




आला में तो अदना के हवाले ही हवाले
अदना ही में आला का हवाला नहीं मिलता

मशकूर हुसैन याद




बेहतर है कि अब ख़ुद से जुदा हो के भी देखें
दरिया में तो दरिया का हवाला नहीं मिलता

मशकूर हुसैन याद




हमारे आसमाँ का हर सितारा सब पे रौशन है
किसी ज़ख़्म-ए-मोहब्बत को निहाँ हम ने नहीं रक्खा

मशकूर हुसैन याद




इन अश्कों का दिल से क्या तअल्लुक़
ये शोले जिगर से आ रहे हैं

मशकूर हुसैन याद




ख़ुश न हो आँसुओं की बारिश पर
बर्क़ है चश्म-ए-तर के पहलू में

मशकूर हुसैन याद




नक़ाब उठाओ तो हर शय को पाओगे सालिम
ये काएनात ब-तौर-ए-हिजाब टूटती है

मशकूर हुसैन याद




उम्र गुज़री सफ़र के पहलू में
ख़ूब से ख़ूब-तर के पहलू में

मशकूर हुसैन याद