ग़रीबी अमीरी है क़िस्मत का सौदा 
मिलो आदमी की तरह आदमी से
हैरत गोंडवी
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                गुलों से नहीं शाख़ के दिल से पूछो 
कि ये बद-नुमा ख़ार कितना हसीं है
हैरत गोंडवी
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                हँस हँस के अपना दामन-ए-रंगीं दिया मुझे 
और मैं ने तार तार किया हाए क्या किया
हैरत गोंडवी
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                हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए 
इश्क़ है ईमान लाने के लिए
हैरत गोंडवी
कुछ मिरी बे-क़रारियाँ कुछ मिरी ना-तवानियाँ 
कुछ तिरी रहमतों का है हाथ मिरे गुनाह में
हैरत गोंडवी
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                मुझे ऐ रहनुमा अब छोड़ तन्हा 
मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ
हैरत गोंडवी
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                रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ 
तुम याद कर रहे हो कि याद आ रहे हो तुम
हैरत गोंडवी
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