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अमजद इस्लाम अमजद शायरी | शाही शायरी

अमजद इस्लाम अमजद शेर

11 शेर

बड़े सुकून से डूबे थे डूबने वाले
जो साहिलों पे खड़े थे बहुत पुकारे भी

अमजद इस्लाम अमजद




हमें हमारी अनाएँ तबाह कर देंगी
मुकालमे का अगर सिलसिला नहीं करते

अमजद इस्लाम अमजद




जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें
ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही

अमजद इस्लाम अमजद




कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा

अमजद इस्लाम अमजद




साए ढलने चराग़ जलने लगे
लोग अपने घरों को चलने लगे

अमजद इस्लाम अमजद




सवाल ये है कि आपस में हम मिलें कैसे
हमेशा साथ तो चलते हैं दो किनारे भी

अमजद इस्लाम अमजद




सुना है कानों के कच्चे हो तुम बहुत सो हम
तुम्हारे शहर में सब से बना के रखते हैं

अमजद इस्लाम अमजद




उस के लहजे में बर्फ़ थी लेकिन
छू के देखा तो हाथ जलने लगे

अमजद इस्लाम अमजद




उस ने आहिस्ता से जब पुकारा मुझे
झुक के तकने लगा हर सितारा मुझे

अमजद इस्लाम अमजद