न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे
राजेन्द्र कृष्ण
देखी थी एक रात तिरी ज़ुल्फ़ ख़्वाब में
फिर जब तलक जिया मैं परेशान ही रहा
रज़ा अज़ीमाबादी
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ख़याल-ए-ज़ुल्फ़-ए-दोता में 'नसीर' पीटा कर
गया है साँप निकल तू लकीर पीटा कर
शाह नसीर
ऐ मुसलमानो बड़ा काफ़िर है वो
जो न होवे ज़ुल्फ़-गीराँ का मुतीअ
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
दिल उस की तार-ए-ज़ुल्फ़ के बल में उलझ गया
सुलझेगा किस तरह से ये बिस्तार है ग़ज़ब
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
'हातिम' उस ज़ुल्फ़ की तरफ़ मत देख
जान कर क्यूँ बला में फँसता है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम