दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
अपने दीवाने का अहवाल तू ज़ंजीर से पूछ
इम्दाद इमाम असर
ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर
एक नदी में कितने भँवर
जाँ निसार अख़्तर
गई थी कह के मैं लाती हूँ ज़ुल्फ़-ए-यार की बू
फिरी तो बाद-ए-सबा का दिमाग़ भी न मिला
जलाल लखनवी
अपने सर इक बला तो लेनी थी
मैं ने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है
जौन एलिया
ऐ ज़ुल्फ़-ए-यार तुझ से भी आशुफ़्ता-तर हूँ मैं
मुझ सा न कोई होगा परेशान-ए-रोज़गार
जोशिश अज़ीमाबादी
उस के रुख़्सार पर कहाँ है ज़ुल्फ़
शोला-ए-हुस्न का धुआँ है ज़ुल्फ़
जोशिश अज़ीमाबादी
उस ज़ुल्फ़ पे फबती शब-ए-दीजूर की सूझी
अंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी
जुरअत क़लंदर बख़्श