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स्वागत हे शायरी | शाही शायरी

स्वागत हे

26 शेर

कौन हो सकता है आने वाला
एक आवाज़ सी आई थी अभी

कर्रार नूरी




सुनता हूँ मैं कि आज वो तशरीफ़ लाएँगे
अल्लाह सच करे कहीं झूटी ख़बर न हो

लाला माधव राम जौहर




मुद्दतों बा'द कभी ऐ नज़र आने वाले
ईद का चाँद न देखा तिरी सूरत देखी

मंज़र लखनवी




तुम जो आए हो तो शक्ल-ए-दर-ओ-दीवार है और
कितनी रंगीन मिरी शाम हुई जाती है

निहाल सेवहारवी




आमद पे तेरी इत्र ओ चराग़ ओ सुबू न हों
इतना भी बूद-ओ-बाश को सादा नहीं किया

परवीन शाकिर




तुम आ गए हो ख़ुदा का सुबूत है ये भी
क़सम ख़ुदा की अभी मैं ने तुम को सोचा था

क़ैसर-उल जाफ़री




ये इंतिज़ार की घड़ियाँ ये शब का सन्नाटा
इस एक शब में भरे हैं हज़ार साल के दिन

क़मर सिद्दीक़ी