कौन हो सकता है आने वाला
एक आवाज़ सी आई थी अभी
कर्रार नूरी
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सुनता हूँ मैं कि आज वो तशरीफ़ लाएँगे
अल्लाह सच करे कहीं झूटी ख़बर न हो
लाला माधव राम जौहर
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मुद्दतों बा'द कभी ऐ नज़र आने वाले
ईद का चाँद न देखा तिरी सूरत देखी
मंज़र लखनवी
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तुम जो आए हो तो शक्ल-ए-दर-ओ-दीवार है और
कितनी रंगीन मिरी शाम हुई जाती है
निहाल सेवहारवी
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आमद पे तेरी इत्र ओ चराग़ ओ सुबू न हों
इतना भी बूद-ओ-बाश को सादा नहीं किया
परवीन शाकिर
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तुम आ गए हो ख़ुदा का सुबूत है ये भी
क़सम ख़ुदा की अभी मैं ने तुम को सोचा था
क़ैसर-उल जाफ़री
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ये इंतिज़ार की घड़ियाँ ये शब का सन्नाटा
इस एक शब में भरे हैं हज़ार साल के दिन
क़मर सिद्दीक़ी