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स्वागत हे शायरी | शाही शायरी

स्वागत हे

26 शेर

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है

फ़रहत एहसास




तुम आ गए हो तो अब आईना भी देखेंगे
अभी अभी तो निगाहों में रौशनी हुई है

इरफ़ान सत्तार




सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी

जाँ निसार अख़्तर




आया ये कौन साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-दराज़ में
पेशानी-ए-सहर का उजाला लिए हुए

जमील मज़हरी




मिल कर तपाक से न हमें कीजिए उदास
ख़ातिर न कीजिए कभी हम भी यहाँ के थे

जौन एलिया




सेहन-ए-चमन को अपनी बहारों पे नाज़ था
वो आ गए तो सारी बहारों पे छा गए

जिगर मुरादाबादी




उस ने वा'दा किया है आने का
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का

जोश मलीहाबादी