चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
फ़रहत एहसास
तुम आ गए हो तो अब आईना भी देखेंगे
अभी अभी तो निगाहों में रौशनी हुई है
इरफ़ान सत्तार
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सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी
जाँ निसार अख़्तर
आया ये कौन साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-दराज़ में
पेशानी-ए-सहर का उजाला लिए हुए
जमील मज़हरी
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मिल कर तपाक से न हमें कीजिए उदास
ख़ातिर न कीजिए कभी हम भी यहाँ के थे
जौन एलिया
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सेहन-ए-चमन को अपनी बहारों पे नाज़ था
वो आ गए तो सारी बहारों पे छा गए
जिगर मुरादाबादी
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उस ने वा'दा किया है आने का
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का
जोश मलीहाबादी
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