हमारी ज़िंदगी-ओ-मौत की हो तुम रौनक़
चराग़-ए-बज़्म भी हो और चराग़-ए-फ़न भी हो
रशीद लखनवी
आप आए हैं सो अब घर में उजाला है बहुत
कहिए जलती रहे या शम्अ बुझा दी जाए
सबा अकबराबादी
टैग:
| स्वागत हे |
| 2 लाइन शायरी |
रौनक़-ए-बज़्म नहीं था कोई तुझ से पहले
रौनक़-ए-बज़्म तिरे बा'द नहीं है कोई
सरफ़राज़ ख़ालिद
टैग:
| स्वागत हे |
| 2 लाइन शायरी |
शजर ने लहलहा कर और हवा ने चूम कर मुझ को
तिरी आमद के अफ़्साने सुनाए झूम कर मुझ को
शाहिद मीर
टैग:
| स्वागत हे |
| 2 लाइन शायरी |
ये किस ज़ोहरा-जबीं की अंजुमन में आमद आमद है
बिछाया है क़मर ने चाँदनी का फ़र्श महफ़िल में
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
टैग:
| स्वागत हे |
| 2 लाइन शायरी |